कलम की धार पे, अहसास के सिफर को भी पहचान मिल गई.... कलम की धार पे, अहसास के सिफर को भी पहचान मिल गई....
खाने में कुछ अलग बनाती हूं, खाता देख सबको, आत्म संतुष्टि पाती हूं खाने में कुछ अलग बनाती हूं, खाता देख सबको, आत्म संतुष्टि पाती हूं
दिल के अंतस से उपजी एक कविता..... दिल के अंतस से उपजी एक कविता.....
क्या फ़र्क़ पड़ता है कि क्या देखा है मैंने सपना क्या फ़र्क़ पड़ता है कि क्या देखा है मैंने सपना
परिवार दिखता नहीं प्यार पलता नहीं परिवार दिखता नहीं प्यार पलता नहीं
या यूं कहूँ की समझना ही नहीं चाहता है हर कोई अपने मतलब की बात करता है या यूं कहूँ की समझना ही नहीं चाहता है हर कोई अपने मतलब की बात करता है